टैक्सियों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही, जिससे यात्री काफी परेशान हो गए। अल्मोड़ा, पिथौरागढ़-चंपावत सहित कई रूटों पर इस हड़ताल की वजह से यात्रियों को बहुत दिक्कत हुई

कुमाऊं क्षेत्र में चलने वाली लगभग 35,000 टैक्सियों के संचालन पर यूनियनों का बड़ा फैसला: अगर उनकी मांगें जल्दी नहीं मानी जातीं, तो सोमवार से टैक्सी परमिट किए जा सकते हैं सरेंडर। इससे यात्रियों को हो रही है भारी परेशानी।

Jan 28, 2024 - 10:58
Jan 28, 2024 - 17:31
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टैक्सियों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही, जिससे यात्री काफी परेशान हो गए। अल्मोड़ा, पिथौरागढ़-चंपावत सहित कई रूटों पर इस हड़ताल की वजह से यात्रियों को बहुत दिक्कत हुई

हल्द्वानी से अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, और चंपावत रूटों पर यात्रा करने वाले यात्रियों को हुई काफी असुविधा क्योंकि फिटनेस सेंटर के प्रबंधन को निजी हाथों में दिए जाने के विरोध में टैक्सी चालकों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही। उत्तराखंड रोडवेज ने भले ही अतिरिक्त बसें चलाईं, लेकिन यात्रियों की बढ़ती भीड़ के सामने ये इंतजाम नाकाफी साबित हुए।

परिवहन विभाग के हालिया फैसले के खिलाफ उत्तराखंड के पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक, टैक्सी और मैक्सी सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गईं। हल्द्वानी में अकेले 1,500 टैक्सियों के चक्के जाम देखे गए, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। टैक्सी यूनियनों ने इस हड़ताल को रविवार को भी जारी रखने का निर्णय लिया।

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में टैक्सी यूनियनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें शीघ्रता से पूरी नहीं की जातीं, तो वे सोमवार से अपने वाहनों के परमिट सरेंडर करने का कदम उठाएंगे। यूनियनों के अनुसार, कुमाऊं में लगभग 35,000 टैक्सियां संचालित होती हैं। महासंघ टैक्सी यूनियन कुमाऊं मंडल द्वारा आयोजित हड़ताल पहले दिन काफी हद तक सफल रही।

कुमाऊं क्षेत्र में विभिन्न टैक्सी यूनियनों का कहना है कि अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत, और नैनीताल रूटों पर एक भी टैक्सी संचालित नहीं की गई। अल्मोड़ा में लगभग 5,000 और बागेश्वर में 544 टैक्सी चालक हड़ताल पर रहे। इस हड़ताल के कारण, स्थानीय निवासियों और बाहर से आने वाले यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

रविवार को भी, हड़ताल के दूसरे दिन, टैक्सी चालक अपने आंदोलन में दृढ़ता से डटे रहे

अल्मोड़ा में परमिट टैक्स में हुई बढ़ोत्तरी के खिलाफ टैक्सी चालकों और मालिकों में गहरा आक्रोश देखा गया है। रविवार को, इस हड़ताल का प्रभाव अल्मोड़ा में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों ने सवारियों को लेकर आ रही गाड़ियों को रोका और उन्हें खाली करवाया, जिससे यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

चम्पावत और सोमेश्वर में टैक्सी चालकों और टैक्सी यूनियनों द्वारा किया जा रहा प्रदर्शन और हड़ताल वाहनों की फिटनेस प्रक्रिया को निजी हाथों में दिए जाने के विरोध में है। टैक्सी चालक और मालिक इस बदलाव को उनके लिए परेशानी का कारण बता रहे हैं। उनका मानना है कि इससे उनके उत्पीड़न की संभावना है और उन्हें फिटनेस सेंटरों के चक्कर लगाने पड़ेंगे, जिससे उनकी परेशानियां और बढ़ेंगी।

इस मुद्दे पर टैक्सी यूनियनों के प्रमुख नेता जैसे कि चंदन लाल वर्मा, ललित मोहन भट्ट, और अन्य सदस्यों ने प्रदर्शन किया है और सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।

इस तरह के मुद्दे पर संवाद और समझौता बहुत महत्वपूर्ण हैं। सरकार और टैक्सी यूनियनों के बीच चर्चा होनी चाहिए ताकि दोनों पक्षों के हितों को संतुलित किया जा सके और समाधान निकाला जा सके। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि नियम और प्रक्रियाएं न केवल सुरक्षा और मानकों को बनाए रखें, बल्कि उन्हें आसानी से लागू भी किया जा सके।

रविवार को, अल्मोड़ा टैक्सी यूनियन के पदाधिकारी अल्मोड़ा-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग पर करबला तिराहे पर एकत्र हुए। इस स्थान पर, उन्होंने परमिट टैक्स में वृद्धि के खिलाफ सरकार के विरुद्ध जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान, यूनियन के सदस्यों ने बाहरी क्षेत्रों से सवारी लेकर आ रहे वाहनों को रोका और उन्हें खाली करने का आदेश दिया।

इस हड़ताल के कारण यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। वे घंटों तक सड़कों पर खड़े रहे, यात्रा के लिए विकल्प तलाशते हुए। अंततः, कई यात्रियों को कुमाऊं मोटर ओनर्स यूनियन (KMOU) और उत्तराखंड रोडवेज की बसों में यात्रा करने का अवसर मिला, जिससे वे अपने गंतव्य स्थानों की ओर रवाना हो सके। इस अवसर पर, टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों ने सरकार की नीतियों के प्रति असंतोष व्यक्त किया और जल्द से जल्द परमिट टैक्स में किए गए वृद्धि को वापस लेने की मांग की।

इस महत्वपूर्ण प्रदर्शन में टैक्सी यूनियन के कई प्रमुख सदस्य उपस्थित थे। महासचिव नीरज पवार के नेतृत्व में, विनोद सिंह बिष्ट, आनंद भोज, महेंद्र कनवाल, नंदन सिंह, भरत, पान सिंह, गुड्डू, बबलू, पंकज, बाली, मट्टू, अजय कुमार, चंदन लटवाल, दीपक जोशी, सुंदर, मनोज, मोहन भोज, विकाश रावत, विकास रावत आदि टैक्सी चालकों और मालिकों ने भी इस प्रदर्शन में भाग लिया। इन सभी ने मिलकर सरकार के निर्णय के खिलाफ अपनी एकजुटता दिखाई और उनकी नीतियों के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया।

हल्द्वानी में टैक्सी चालकों की हड़ताल के कारण यात्रियों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

टैक्सी चालकों द्वारा फिटनेस सेंटर के कार्य को निजी हाथों में सौंपे जाने के विरोध में हड़ताल जारी रहने के कारण, हल्द्वानी में डेढ़ हजार से अधिक टैक्सियों के पहिए थम गए। इस विरोध प्रदर्शन के फलस्वरूप, सवारियों को अन्य परिवहन साधनों की ओर रुख करना पड़ा, जैसे कि रोडवेज और केमू बस सेवाएं। सुबह से ही लोग इन स्टेशनों की ओर दौड़ते नजर आए, जिससे उन्हें काफी परेशानी और असुविधा का सामना करना पड़ा। इस हड़ताल ने न केवल यात्रियों की दिनचर्या में बाधा डाली बल्कि उन्हें अन्य वैकल्पिक परिवहन साधनों की ओर मुड़ने के लिए विवश किया, जिससे उन्हें अपने गंतव्य स्थानों तक पहुँचने में अतिरिक्त समय और प्रयास लगा।

टैक्सी यूनियनों की ओर से उठाया गया यह कदम उनकी मांगों के प्रति सरकार का ध्यान आकर्षित करने का एक प्रयास है। यूनियनों का कहना है कि अगर उनकी मांगें जल्दी नहीं मानी जाती हैं, तो वे सोमवार से अपने वाहनों के परमिट सरेंडर कर देंगे। इस तरह की कार्रवाई से कुमाऊं क्षेत्र में टैक्सी परिवहन सेवाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, जहां करीब 35 हजार टैक्सियां संचालित होती हैं।

इस बीच, कुछ स्थानों पर निजी वाहनों का उपयोग सवारियों को उतारने के लिए किया जा रहा है, और रोडवेज स्टेशनों से भी कुछ टैक्सी वाहन चलते हुए देखे गए हैं। यह दर्शाता है कि यात्री अपने गंतव्य स्थलों तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक परिवहन साधनों का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि, यूनियनों के इस कदम से यात्रियों को उत्पन्न हो रही असुविधा और परेशानी को देखते हुए सरकार और यूनियनों के बीच संवाद और समाधान की दिशा में प्रगति की आवश्यकता है।

पिथौरागढ़ में टैक्सी चालकों की हड़ताल का जारी रहना इस बात का संकेत है कि उनके मुद्दे और मांगें अभी भी हल नहीं हुई हैं। हड़ताल के कारण परिवहन सेवाओं पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है, जिससे स्थानीय निवासियों और यात्रियों को असुविधा हो रही होगी। 

इस प्रकार की हड़ताल आमतौर पर तब होती है जब चालकों और उनकी यूनियनों को लगता है कि उनके मुद्दों को समुचित तरीके से संबोधित नहीं किया जा रहा है। इसमें अक्सर वित्तीय मुद्दे, परमिट और लाइसेंसिंग की शर्तें, सुरक्षा नियमों का कठोरता, और अन्य व्यावसायिक चिंताएं शामिल होती हैं।

इस स्थिति का समाधान खोजने के लिए सरकार और टैक्सी चालकों के बीच संवाद और बातचीत आवश्यक है। दोनों पक्षों को मिलकर एक ऐसे समाधान पर पहुंचना होगा जो न केवल चालकों की चिंताओं को दूर करे, बल्कि यात्रियों और समुदाय के हितों का भी ध्यान रखे।

पिथौरागढ़ में टैक्सी संचालकों की हड़ताल जारी रहने से यात्रियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा है, खासकर उन लोगों को जो दिल्ली, देहरादून, टनकपुर, लखनऊ जैसे महत्वपूर्ण गंतव्यों के लिए यात्रा कर रहे थे। टैक्सियों का संचालन न होने के कारण यात्री रोडवेज और केएमओयू बसों पर निर्भर रहे, जिससे इन बसों में यात्रियों की भीड़ बढ़ गई। बसों में भीड़ होने के कारण बहुत से यात्रियों को सीट भी नहीं मिल पाई, जिससे उन्हें और भी असुविधा हुई। 

इस तरह की हड़ताल का असर न केवल स्थानीय लोगों पर पड़ता है, बल्कि पर्यटकों और अन्य यात्रियों पर भी पड़ता है, जिन्हें अपनी योजनाओं में बदलाव करना पड़ता है। हड़ताल का समाधान खोजने के लिए संबंधित पक्षों के बीच संवाद और चर्चा महत्वपूर्ण होती है। सरकार और टैक्सी संचालकों को मिलकर उन मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए जिनके कारण हड़ताल हो रही है, ताकि जल्द से जल्द एक संतोषजनक समाधान निकाला जा सके।

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